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उत्तर
परिशिष्ट-4]
179} तीन योग से पालन का विवेक रखना चाहिए अर्थात् कोई निरपराध त्रस जीव को संकल्पपूर्वक मारे तो उसका मन-वचन-काया से अनुमोदन नहीं करना चाहिए । इसी प्रकार अन्य व्रतों को भी
तीन करण तीन योग से पालन करने का लक्ष्य रखना चाहिए। प्रश्न 94. आकुट्टी से मारना किसे कहते हैं? उत्तर कषायवश निर्दयतापूर्वक प्राणों से रहित करने, मारने की बुद्धि से मारना, आकुट्टी की बुद्धि से
मारना कहलाता है। प्रश्न 95. अतिभार किसे कहते हैं?
जो पशु जितने समय तक जितना भार ढो सकता है, उससे भी अधिक समय तक उस पर भार लादना । या जो मनुष्य जितने समय तक जितना कार्य कर सकता है उससे भी अधिक समय तक
उससे कार्य कराना अतिभार है। प्रश्न 96. मृषावाद कितने प्रकार का है? उत्तर मृषावाद दो प्रकार का है-1. सूक्ष्म और 2. स्थूल। 1. हँसी-मजाक या आमोद-प्रमोद में
मामूली सा झूठ बोलने का अनुमोदन करना सूक्ष्म झूठ है। 2. कन्या संबंधी, पशु संबंधी, भूमि संबंधी, धरोहर-गिरवी संबंधी झूठी साक्षी देना आदि स्थूल मृषावाद है।
क्खाणे के अन्य प्रकार बताइए। उत्तर जैसे क्रोधादि कषाय के आवेश में आकर बिना विचारे किसी पर हत्या, झूठ, चोरी आदि आरोप
लगाना । सन्देह होने पर कुछ भी प्रमाण मिले बिना, सुनी सुनाई बात पर या शत्रुता निकालने के लिए या अपने पर आये आरोप को टालने के लिए आरोप लगाना आदि भी सहसब्भक्खाणे के
प्रकार हैं। प्रश्न 98. रक्षा के लिए झूठी साक्षी देना या नहीं? उत्तर रक्षा की भावना उत्तम है पर रक्षा के लिए भी सापराधी की झूठी साक्षी नहीं देना चाहिए।
कदाचित् इससे कभी अन्य निरपराधी की मृत्यु भी हो सकती है। निरपराधी को बचाने के लिए भी झूठी साक्षी देना उचित नहीं है । भविष्य में इससे साक्षी देने वाले का विश्वास उठ जाता है।
अत: झूठी साक्षी नहीं देना चाहिए। प्रश्न 99. सच्ची बात प्रकट करना अतिचार कैसे? उत्तर स्त्री आदि की सत्य परन्तु गोपनीय बात प्रकट करने से उसके साथ विश्वासघात होता है, वह
लज्जित होकर मर सकती है या राष्ट्र पर अन्य राष्ट्र का आक्रमण आदि हो सकता है। अतः विश्वासघात और हिंसा की अपेक्षा से सत्य बात प्रकट करना भी अतिचार है।