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________________ ज्ञानी प्रकाशमान करते हैं अनोखे प्रयोग १०३ हम सभी पर्यायों को समझते हैं कि ऐसा पर्याय होना चाहिए लेकिन किसके लिए? क्रमिक मार्ग से आए हुए लोगों के लिए नहीं होता क्योंकि वे सब निकाल करके आए हुए हैं। और यहाँ तो निकाल किए बगैर का माल इसलिए इस प्रकार से निकाल करने से सहज होता है। किसी भी प्रकार से देह को सहज करना है। ताली नहीं बजानी वह एक प्रकार की रोंग बिलीफ है। ताली बजानी वह भी एक रोंग बिलीफ है। ताली नहीं बजानी वह एक प्रकार की बिलीफ अहंकार को बढ़ाने वाली है और यह अहंकार को खत्म करने वाली है और आप उसके कर्ता नहीं हो। यह तो चंदूभाई करते हैं, आप कहाँ करते हो? अर्थात् अपने यहाँ की सारी क्रियाएँ रोंग बिलीफ छोड़ने के लिए हैं। बहुत सी बिलीफें तो मैंने फ्रेक्चर कर दी हैं, लेकिन अभी भी कितनी ही अंदर पड़ी हैं लेकिन सहज रूप से निकल जाएगी। यहाँ पर कोई आपत्ति भी नहीं उठाता न! खुद का स्टेज (स्टेटस, प्रतिष्ठा) ही भूल जाते हैं। पहले तो मुझ से ऐसा नहीं होगा, नहीं? लेकिन फिर भी आपको कहाँ करना है? आपके लिए करने का रखा हो तो बताओ। आपको तो चंदभाई क्या करते हैं उसे देखते रहना है, कि 'ओहोहो, चंदभाई ने कैसी ताली बजाई, मोक्ष जाने के लिए। आपको भी छूटना है और उन्हें भी छुड़वाना है।' वर्ना, चंदूभाई को ताली बजानी अच्छी लगती होगी? यह तो मैं (ताली बजाकर) आपको सिखाता हूँ। बाकी, अब मुझे इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। आपको सिखाकर निबेड़ा ला देता हूँ। मुझे इन क्रियाओं को करने की क्या ज़रूरत है? यह तो निबेड़ा ला देना है। यह कोई कॉलेज या स्कूल नहीं है। यह तो, किसी भी तरह से हल लाना है। यदि इसमें बुद्धि का उपयोग किया न तो बुद्धि पूरी रात सोने नहीं देंगी और बुद्धि से समझ सकते हैं? लेकिन यदि आपकी समझ में फर्क आ जाएगा तो पूरी रात नींद में भी लगेगा कि दादा, ऐसा क्यों करवाते हैं ? अरे, लेकिन आपको
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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