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[12] निर्दोष ग्राम्य जीवन
से वहाँ नंबर लगा। ऐसा तो उसने कुछ देखा ही नहीं था न ! दुनिया ही नहीं देखी थी न !
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प्रश्नकर्ता : तो फिर ज्ञानी अंबालाल, वापस कभी उन अंबालाल से मिले थे, दादा ? फिर कभी आप उनसे मिले थे ?
दादाश्री : नहीं! लेकिन बाद में उसकी फिर से परीक्षा ली गई थी। उसकी प्राइवेट परीक्षा ली गई और फिर उसका ठीक हो गया ।