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________________ [10.7] यमराज के भय के सामने शोध 403 मैंने कहा, 'यमराज आकर चले गए। यमराज आए थे लेकिन चाचा को लेकर नहीं गए इसलिए मुझे यह यमराज की बात गलत लगती है। यदि वे यहाँ तक आए तो वापस क्यों चले गए? हमने किसी ने उन्हें मना नहीं किया था, तो उन्हें किससे डर लगा?' तो मन में वहम हो गया कि ये लोग गलत बात करते हैं! यमराज कैसे हो सकते हैं ? यहाँ तक आकर वे वापस नहीं जा सकते, इसलिए यह बात गलत है। किसी ने यह मिथ्या बात डाल दी है! यह तो भाई मिथ्या ही लगती है! लोग अंधाधुंध बोलते हैं, क्या है? इसलिए फिर मैंने तो जाँच करना शुरू किया, तेरह साल की उम्र में इस बात के पीछे पड़ गया कि यमराज नाम का कोई जीव सचमुच में है या यह गलत है ? उसकी पत्नी, उसके कोई बच्चे-वच्चे होंगे या वह शादी किए बगैर कुँवारा ही होगा? लाओ न, पता तो लगाने दो कि यह बात सही है या गलत। यमराज वास्तव में फेक्ट (सही) है या ज़बरदस्ती लोगों द्वारा घुसाई हुई बात है? दुनिया की नहीं सुने, ऐसा पागल अहंकार तब मैंने सोचा कि, 'अब मैं यमराज को ढूँढ ही निकालूँगा। अब इसका नीचे से लेकर ऊपर तक का सब ढूँढ निकालो। इसे पकड़ो, इस पोल को खोल दो'। फिर बहुत जाँच की। मूल रूप से इस तरफ का स्वभाव बहुत सख्त था। हम तो मूल रूप से क्षत्रिय थे न फिर, क्षत्रिय के यहाँ जन्म हुआ था न। जो-जो बात गलत हो, उसके पीछे पड़ने की आदत पड़ गई थी। मेरा अहंकार तो पागल था, कैसा था? प्रश्नकर्ता : पागल अहंकार। दादाश्री :हाँ, दुनिया की सुनता ही नहीं था। हमने दुनिया की नहीं सुनी। जो दुनिया की सुने वह समझदार अहंकार कहलाता है। दुनिया की सुने, जो दुनिया के साथ हिल-मिलकर चले, वह समझदार अहंकार कहलाता है जबकि मेरा अहंकार तो पागल था। सामना करूँगा लेकिन लोगों को दुःख नहीं रहना चाहिए ऐसे गलत भय नहीं थे, इसलिए फिर सामना किया। सभी शास्त्र छान
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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