SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 346
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [8.4] भाभी के उच्च प्राकृत गुण 281 बेचारे? यदि उनका खंभा ही गिर पड़े तो जो रोज़ सत्संग सुनते हैं, वे कहाँ जाएँगे? कौन उपदेश देने जाएगा? प्रश्नकर्ता : ठीक है। नहीं तोड़ सकते थे लोगों का आधार, उन्हें ज्ञान देकर दादाश्री : इन्हें ठंडक हो जाती तो फिर वहाँ नहीं जातीं न! प्रश्नकर्ता : हाँ, फिर नहीं जातीं। दादाश्री : और अगर यह खंभा गिर जाएगा तो परेशानी हो जाएगी। हम कहाँ यह खंभा तोड़ें? इसलिए मैंने कहा, 'यह ज्ञान आपको देने जैसा नहीं है। ऐसा ज्ञान तो आपको फिर भी मिल जाएगा, आपका और मेरा पारिवारिक संबंध हुआ, वह कोई ऐसा-वैसा नहीं है। आप जो कर रही हैं वह ठीक है। आपके पास तो ज्ञान है ही न! आपको क्या मतलब है इससे?' ऐसा कहकर वापस भेज दिया। कितने सारे लोग थे इनके साथ और इन्हीं के आधार पर तो उन लोगों का सब चल रहा था। प्रश्नकर्ता : सही बात है। दादाश्री : मैंने कहा, 'आपका धर्म बहुत अच्छा है'। वे अपने आप ही नमस्कार करती रहती थीं। जिनका ऐसा है कि अपने आप ही हो जा रहा है तो हम उन्हें यहाँ इसमें नहीं डालते। यहाँ पर कहाँ रखें सब को? पाँच सौ लोगों का यहाँ पर खाना बनाने में परेशानी होती है तो फिर इतने सब का क्या होगा? हम भीड़ बढ़ाने नहीं आए हैं? हम तो, जिन्हें पूर्णतः मुक्त होना है, उनके लिए है यह सब। प्रश्नकर्ता : ठीक है। दादाश्री : अतः अपनी इच्छा ही नहीं है उन्हें इस तरफ लाने की। अंत में भगवान समझकर करते थे आरती प्रश्नकर्ता : अब आपकी भाभी यहाँ आकर आपके दर्शन करती हैं क्या?
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy