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________________ [8.1] भाभी के साथ कर्मों का हिसाब प्रश्नकर्ता : जिसे कूदना हो, वह किसी से कहता नहीं है । दादाश्री : ऐसा क्यों कहते हैं ? सामने वाले पर दवाब डालने के लिए। कोई भी नहीं मरता, देखो न ! क्योंकि उन्होंने पट रखा है बीच में, अंतर पट रखा हुआ है । 223 प्रश्नकर्ता : नाटक करते हैं, कम्प्लीट नाटक। दादाश्री : ऐसा कर दूँगी, ऐसा कर दूँगी लेकिन अंदर पर्दा रखा था। उसके बाद हम समझ गए। आखिर में फिर भाई को पता चल गया। उन्होंने जान लिया कि अंदर ये कपट खेल रही हैं । आखिरकार उन्हें ऐसा दिखाई दिया। दूसरी बार शादी करके मूर्ख बने प्रश्नकर्ता: दादा, भाभी इतनी स्ट्रोंग थीं ? दादाश्री : यह तो, दूसरी बार की पत्नी थीं इसलिए बहुत तेज़ थीं। दूसरी बार की महारानी थीं न, इसलिए हम दोनों भाईयों को फटकार देती थीं। ब्रेन इतना था हमारी भाभी का कि भाई को डराकर तेल निकाल दिया था। पति पर दवाब ही डालती रहती थीं। मैं तो तुरंत समझ जाता था। हमारे भाई भी समझ जाते थे लेकिन प्रेम की वजह से सब भूल जाते थे। दूसरी बार शादी नहीं करनी चाहिए लेकिन लोग दूसरी शादी करके मूर्ख बनते हैं। उस उम्र में भी भाई को मूर्ख बनाती थीं! बाहर हमारे बड़े भाई से सौ लोग काँपते थे । वे ऐसे विकराल थे, ऐसी पर्सनालिटी वाले थे। कैसे इंसान ? राजसी इंसान। जिनकी ऐसी छाती थी लेकिन वे बेचारे काँप गए पत्नी के सामने । राजा जैसे, सिंह ही देख लो न! सिंह जैसा पाटीदार था दिखने में । सिंह जैसे पाटीदार को मिट्टी में मिला दिया था। जिनकी आँखें देखकर सब तितर-बितर हो जाते थे, वही खुद बकरी बन गए। उन सिंह जैसे को बकरी बना दिया। वे बाघिन की तरह खड़ी रहती थीं। मुझे तो आश्चर्य होता था कि मेरा यह बाघ जैसा भाई और इसे बकरी बना दिया ?
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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