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________________ [7] बड़े भाई 213 प्रश्नकर्ता : किस उम्र में ? दादाश्री : पचास साल की उम्र में । पूरा शरीर खत्म हो गया था उनका। क्योंकि उन्होंने उस समय इकतीस उपवास किए थे। तो उपवास की वजह से मृत्यु हो गई । उपवास से उन्हें हेल्प नहीं हुई थी ठीक से । प्रश्नकर्ता : क्या मणि भाई ने उपवास किए थे ? दादाश्री : इकतीस उपवास किए थे, सिर्फ पानी पीते थे वे । प्रश्नकर्ता : संथारा जैसा ही हुआ यह तो ? दादाश्री : वे क्या संथारा करते ? ( मृत्यु तक उपवास) बैरी पुरुष थे वे तो। वे तो, जैसा उनके खुद के मन में आता था, वैसा ही करते थे। किसी की सुनते ही नहीं थे न ! प्रश्नकर्ता : लेकिन उन्होंने उपवास क्यों किए थे, दादा ? दादाश्री : उन्होंने उपवास तो इसलिए किए थे कि 'मेरे शरीर में जो शराब के परमाणु हैं, उन सब को साफ कर देना है'। तो उन्होंने शरीर की शुद्धि के लिए ऐसा किया था । वे शराब पीते थे न, तो इसलिए किए ताकि शरीर में से ज़हर निकल जाए । हालांकि शराब छूट गई थी, उन्होंने अपने आप ही छोड़ दी थी दो साल पहले ही। उसके बाद उपवास किए। यों तो फिर से संत पुरुष जैसे बन गए थे, क्योंकि उनका ब्रेन सुपर था। शरीर में बदलाव करने के लिए, शरीर को फिर से पुण्यशाली बनाने के लिए और पाप धोने के लिए इकतीस उपवास किए थे। डॉक्टर तो निमित्त थे, मुख्य कारण तो उपवास उन्होंने उपवास तो किए लेकिन उपवास छोड़ना नहीं आया । प्रश्नकर्ता : उपवास छोड़ना नहीं आया । एकदम से खा लिया। दादाश्री : अपने रमण लाल डॉक्टर हैं न, तो रमण लाल डॉक्टर ने कहा कि 'ज़रा फीके दही की छाछ दोगे तो हर्ज नहीं है ' । तो रमण
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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