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________________ [7] बड़े भाई 207 नहीं लेते थे, बल्कि हमेशा खुद अपने ही पैसे खर्च करते थे. और उन्होंने ऐसा किया? पैसों के बारे में जिंदगी में अगर उन्होंने कोई भी गलत काम किया हो तो वह यह था। इसलिए मैंने कहा, 'यदि आप अपने आपको खानदानी मानते हो तो यह शोभा नहीं देता, वर्ना आप खानदानी नहीं हो'। खानदानियत का अहंकार होगा तो उसमें हर्ज नहीं है, वह अहंकार खानदानियत को संभाल लेता है। वर्ना यदि वह अहंकार नहीं होगा तो खानदानियत खत्म हो जाएगी, दिवाला निकाल देगा। भाई की बुरी आदतों की वजह से पैसों की कमी मणि भाई यों तो बहुत अच्छे इंसान थे, जैसे राजसी परिवार से हों। जो कुछ पास में होता था, वह दे देते थे। पैसों की पड़ी ही नहीं थी। काफी बड़ा कामकाज । बहुत आमदनी थी लेकिन भाई को पीने की लत लग गई थी। प्रश्नकर्ता : पटेलों में तो कई लोगों में ऐसा होता ही है, दादा। दादाश्री : ये भाई तो राजसी थे और उन्हें इन सब की छूट थी! सिंह को तो पूरी छूट होती है न? वे तो सिंह वंश के थे तो छूट तो रहेगी न? प्रश्नकर्ता : हाँ, छूट रहेगी। दादाश्री : बड़े भाई बहुत शराब पीते थे इसलिए पाँच दस सालों तक पैसों की तकलीफ हुई थी। उन पाँच-दस सालों में हमारे भाई के राज में पैसों की कमी हो गई थी, बाकी उसके बाद पैसों की कमी नहीं पड़ी। पैसे तो, जहाँ हाथ डालूँ न, वहाँ से पैसे मिलते थे। व्यवसाय में तो पैसे बहुत आते थे, लेकिन बड़े भाई के पीने में वे कैसे टिक पाते? आमदनी बहुत थी लेकिन जहाँ पर शराब होती है न, वहाँ पैसा शोभित नहीं होता, और भाई तो रोज़ पचास-सौ रुपए की दारु पीते थे। प्रश्नकर्ता : ओहो! दादाश्री : हमारे भाई को तो रोज़ चालीस-पचास रुपए की बोतल
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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