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________________ [7] बड़े भाई फौजदार (पुलिस वाला) काठियावाड़ी मज़दूरों को घुसने नहीं देता था। मज़दूरों को डाँटता था तो मज़दूर उसे एक-दो रुपए देते थे। बड़े भाई को पता चला कि यह ऑफिसर मज़दूरों से पैसा खा जाता है। तो एक दिन बड़े भाई चबूतरे पर बैठे हुए थे, उन्होंने फौजदार को आते हुए देखा। तब फौजदार से पूछा 'आप फौजदार हो क्या? आपने हमारे लोगों से पैसे लिए हैं? यहाँ पर ऐसा नियम नहीं है ' । फिर पास में जो डंडी रखी हुई थी, वह फौजदार के सामने उठाई ! 'अरे! मज़दूरों को लूटता है?' तो फौजदार तो भागा और भाई पीछे-पीछे दौड़े। तब उसने कहा, 'मैं आपकी गैया हूँ'। उसके बाद बड़े भाई ने उसे छोड़ा । 193 हमारे बड़े भाई कहते थे कि 'पहला वार राणा का '। अगर फौजदार के सामने नरम पड़ जाएँ तो फौजदार चढ़ बैठेगा कि, 'ऐसे मज़दूरों को क्यों लाते हो ?' नरमी की भी हद होती है । नहीं घबराते थे गायकवाड़ के चचेरे भाई से भी मेरे बड़े भाई तो बहुत सख्त मिज़ाज वाले थे । यहाँ पर एक व्यक्ति उन्हें डरा रहा था। गायकवाड़ सरकार का चचेरा भाई था, मामा का बेटा, श्यामराव महाराज। वह कुछ बड़े - बड़े लोगों को घर पर बुलाकर और उन्हें हन्टर मारकर सीधा कर देता था । वे तो सेठ कहलाते थे न, वहाँ उन्हें कोई बाप भी पूछने वाला नहीं था । तब मामा साहब, फूफा साहब या मौसा साहब, हर कोई घुस गए थे। राजा के नाम पर जब ऐसा करते, तब फिर लोग भी क्या करें ? महाराज ऐसे नहीं थे। महाराज बहुत अच्छे थे लेकिन उनके नाम का इन सब लोगों ने फायदा उठाया। बड़े-बड़े नेता लोग, दो सौ-दो सौ बीघा के मालिक यों राजा जैसे दिखाई देते थे, तब नशा नहीं चढ़ता क्या ? तो श्यामराव महाराज ने एक बार मणि भाई के फ्रेन्ड को फटकारा। वे इटौरा के एक पाटीदार थे, उन्हें हंटर मार-मारकर उनका तेल निकाल दिया। तब हमारे बड़े भाई को, एक श्यामराव महाराज का कोई कर्मचारी
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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