________________
[6] फादर
175
प्रश्नकर्ता : (विक्रम संवत) 1983 में मूलजी भाई गुज़र गए थे, 1983 यानी कि आज से साठ साल पहले (संवत 2043, ई.स. 1987)।
दादाश्री : हाँ, 1983 की बाढ़ के समय।
प्रश्नकर्ता : 1983 में बाढ़ आई थी, उस बात के साठ साल हो गए, तो जब आपके पिता जी गए तब आपकी उम्र कितनी थी?
दादाश्री : मैं जब बीस साल का था तब फादर गुज़र गए थे। क्या हु आ कि हमारे फादर की तबियत अच्छी नहीं थी, तब मैं यहाँ कॉन्ट्रैक्ट के काम पर जाता था। इसलिए हमारे बड़े भाई मणि भाई ने मुझसे कहा कि 'तू काम पर रह और मैं फादर की तबियत पूछकर आता हूँ। मैं ज़रा मिल आता हूँ'। मैंने कहा, 'तो ठीक है, आप जाकर आइए। मैं बाद में आऊँगा'। मेरी इच्छा बहुत थी, अगर कहीं शरीर छोड़ दिया तो? फिर उस दिन मेरे ब्रदर भादरण गए। उन दिनों बोरसद और भादरण के बीच में गाड़ियाँ नहीं चलती थीं, तो घोड़ा गाड़ी मिल गई वर्ना कई बार यों ही चलकर जाना पड़ता था!
उनके जाने के कुछ देर बाद मुझे कुदरती रूप से यों ही विचार आया कि 'चलो न भाई, मैं भी जाऊँ, मैं भी तबियत पूछकर आता हूँ। ये काम दूसरों को सौंप देता हूँ और फिर मैं भी जाता हूँ'। इसलिए फिर मैं भी बापू जी से मिलने गया। मैंने वह काम किसी और को सौंप दिया, और मैं तो चल पड़ा घोड़ा गाड़ी में बैठकर।
फिर देखा, मणि भाई तो वापस लौट रहे थे, उन्हें मिलने गए थे वहाँ से, और मैं जा रहा था। तब हम आमने-सामने मिले। उन्होंने मुझसे पूछा 'तू आ गया?' मैंने कहा, 'हाँ, मुझे अंदर से ऐसा विचार आया कि जाऊँ, तो मैं सभी को काम सौंपकर आया हूँ'। तब उन्होंने मुझसे कहा, 'अब तू वहाँ घर जा और मैं वापस काम पर जाता हूँ। तू रहना अभी दो-चार दिन। बापू जी की तबियत नरम है। मैं वहाँ सब कर लूँगा'। तो ब्रदर वापस गए वहाँ पर और मैं 'फादर' के पास आ गया तो उन्होंने उसी रात जाने की तैयारी कर ली, तब तक वे जा नहीं रहे थे। मैं आ गया तो तैयारी कर ली, वर्ना तब तक तैयारी नहीं कर रहे थे। तब बा
उन