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________________ [6] फादर 171 मुझे तो भगवान ही चाहिए थे ऐसा सब तूफान था ! कहाँ इस तरह दड़ डालें और कहाँ सारे आम के पेड़ उगाएँ', तो वे कब खाएँगे और कौन खाएगा, उसका क्या ठिकाना ? ये तैयार आम खाओ न चुपचाप ! हाँ, जिसे बाग उगाने हों, बाग का मालिक बनना हो, वह भले ही उगाए । हमें इसका मालिक नहीं बनना हैं। हमें इसका गर्वरस नहीं चाहिए। गर्वरस वाले बहुत हैं, वे अपनी तरह से बाग बनाएँगे, पेड़ उगाएँगे और उनमें आम आएँगे ! ऐसे बहुत लोग हैं! यहाँ क्या कमी है ? सभी तरह के लोग हैं ! मुझे ऐसा सब नहीं चाहिए था, मुझे तो भगवान ही चाहिए थे। इन आम-वाम की मुझे नहीं पड़ी थी । फिर भी यह ममता छोड़नी नहीं है। ममता रखनी है, लेकिन कैसी ? मालिकी रहित ममता । ओनरशिप नहीं, टाइटल नहीं। मेरी जन्मपत्री बहुत अच्छी थी, इसलिए सभी आदर करते थे प्रश्नकर्ता : आपने पहले बताया उसके अनुसार क्या आपकी जन्मपत्री के योग बहुत बड़े बताए गए थे ? दादाश्री : हाँ, यह पद मिलना था, वह तो ज्योतिषी ने कहा था फादर - मदर से कि अलग ही तरह के पुत्र ने आपके यहाँ जन्म लिया है ! प्रश्नकर्ता : जन्मपत्री किसने बनाई थी ? दादाश्री : उन्होंने ही बनाई थी । ऐसा गोल-गोल पीला सा बनाया हुआ है । यहाँ से पच्चीस फुट लंबा, तो उसे पढ़ रहे थे । उसके बाद से फादर मेरी इज़्ज़त करने लगे थे । फादर बड़े भाई को भी डाँटने नहीं देते थे बड़े भाई जब मुझे डाँटते थे, हालांकि वे मुझसे बीस साल बड़े
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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