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उपोद्घात
[1] बचपन
[1.1] परिवार का परिचय यह ग्रंथ ज्ञानी पुरुष दादा भगवान के जीवन चारित्र पर है। इस ग्रंथ में दादाश्री की सरलता और सहजता देखने को मिलती है। वे बच्चे जैसी सरलता से जवाब देते हैं। लोगों ने सत्संग में बैठे-बैठे उनके बारे में सभी बातें पूछी हैं और उन्होंने खुद के जीवन की किताब ज्यों की त्यों खोलकर रख दी है। वे खुद ए.एम.पटेल के साथ नज़दीकी पड़ोसी की तरह रहते थे, अतः इस तरह से सबकुछ बता दिया जैसे कि पड़ोसी का जीवन चारित्र बता रहे हों। खराब हुआ, अच्छा हुआ, क्यों ऐसा हुआ, उन्होंने इसमें से क्या सीखा, उन्होंने खुद ने कैसी-कैसी गलतियाँ की थीं और किस प्रकार से उनके लिए पछतावा किया, ये सभी बातें हमें जानने को मिलती हैं।
विशेषता तो यह है कि हम सब के जीवन में जैसी घटनाएँ घटती हैं, उनके जीवन में भी वैसी ही घटनाएँ हुईं लेकिन वे खुद साक्षी भाव से, ओब्जर्वर की तरह रहे और उस समय किस तरह के सूक्ष्म से सूक्ष्म विचार आए, वह सब भी देख सके। इतना ही नहीं लेकिन उनकी बचपन की विचार श्रेणी की सत्तर-पचहत्तर-अस्सी साल तक की उम्र में भी जैसे कि आज ही न हुआ हो, उस तरह से बता सके हैं, यही ज्ञानी पुरुष की अद्भुतता है।
लोगों ने उनके बचपन के बारे में प्रश्न पूछे हैं तो उन्होंने सरलता से जवाब भी दिए हैं। 'संक्षिप्त में अपना जीवन चारित्र बताइए', तो कहा कि 'मेरा नाम अंबालाल मूलजी भाई पटेल है, मैं भादरण गाँव का वासी हूँ, मेरी मदर झवेर बा हैं, मेरे फादर मूलजी भाई, मेरे बड़े भाई मणि भाई'। यह भी बता दिया कि 'मैं मैट्रिक फेल हूँ'। विवाह के बारे में भी बताया कि, 'पंद्रह साल की उम्र में शादी हुई थी, वाइफ का नाम हीरा बा। दो बच्चे हुए थे (मधुसूदन, कपिला)। दोनों बचपन में ही गुज़र गए'।
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