________________
[5.2] पूर्व जन्म के संस्कार हुए जागृत, माता के
143
भूखा नहीं जाने देता था क्योंकि यह तो मैंने खोज की है, समभाव नहीं लाया हूँ। मैंने बिज़नेस किया है। समभाव तो! आपको बिज़नेस करना ही नहीं आता है तो वह तो कैसे करोगे? यों समभाव तो रखा जाता होगा भाई? जो काटे उस पर क्या समभाव रखा जाता होगा? अद्भुत बिज़नेस दादा का, नुकसान में भी किया नफा
प्रश्नकर्ता : तो आपने बिज़नेस किया दादा? दादाश्री : हाँ। बिज़नेस किया। मूलतः तो व्यापारी हूँ न !
जब आप नींद में खाना खा ही जाते हो और मुझे मूर्ख बनाते हो तो हमारी जागृत अवस्था में ही हमारी होटल में खाकर जाओ न ! मैंने बिज़नेस किया न! इसीलिए फिर मैंने एडजस्टमेन्ट ढूंढ निकाला कि ये जो खटमल हैं वे नींद में तो काट ही जाते हैं तो उसके बजाय जागते हुए ही ले जाओ न! इसीलिए जागृत अवस्था में उन्हें खाना खिलाया, 'हाँ, काटो'। और वे भूखे नहीं मरते, रोज़ खाना खा लेते हैं। ये खटमल ऐसे नहीं है कि भूखे मरें। लोग नींद में खाने देते हैं
और हम जागृत अवस्था में खाने देते हैं और फिर उन्हें मारने-करने की कोई बात ही नहीं। तब फिर मैंने तय किया 'मैं क्षत्रिय हूँ, मुझे नींद में क्यों खिलाना पड़े, जागृत अवस्था में ही न खिला दूँ?' अहंकार था न उन दिनों? क्षत्रियपन का अहंकार। तो वह अहंकार क्या नहीं कर सकता? लेकिन वह जो काटने देता था, वह अहंकार से था। भूखे क्यों जाने दें?
वे खटमल क्या कहते हैं ? 'यदि तू खानदानी है तो हमें हमारी खुराक लेने दे और अगर खानदानी नहीं है तो यों भी हम खाना खाकर चले जाएँगे लेकिन जब आप सो जाओगे, तब। अतः तुम शुरू से ही अपनी खानदानियत रखना!' तो मैं खानदानी बन गया था। यदि पूरे शरीर पर काट रहे होते थे न, तब भी काटने देता था। इस तरह पाँच-पाँच साल निकाले हैं मैंने। मन में ऐसा था कि हम क्षत्रिय हैं, क्यों न वे खाना खाकर जाएँ? इस तरह के सारे तप तो किए हैं मैंने। एक जन्म तो तप करो, अन्य और कोई तप करने के बजाय । लोग तो बल्कि कहते