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________________ (१.१) विभाव की वैज्ञानिक समझ दादाश्री : हाँ, परमाणु और पुद्गल में फर्क है । एक तो शुद्ध पुद्गल है और दूसरा, विशेष भावी पुद्गल है। शुद्ध पुद्गल परमाणुओं के रूप में है, फिर भी वे परमाणु स्वभाव से क्रियाकारी हैं । इसका मतलब यह है कि मान लो यहाँ पर अगर बर्फ गिर रही हो तो उसमें से बड़ा महावीर के पुतले जैसा बन गया । वह वापस पिघल जाता है अर्थात् पूरण (चार्ज होना, भरना) होता है और फिर गलन ( डिस्चार्ज होना, खाली होना) होता है। वह शुद्ध पुद्गल कहलाता है । और दूसरा, आत्मा और पुद्गल के परमाणुओं के मिलने से उत्पन्न हुआ है, वह विशेष भावी पुद्गल है, उसमें रक्त, हड्डी, माँस वगैरह सभी विशेष भावी पुद्गल हैं। प्रश्नकर्ता : इसमें मन-वचन-काया सबकुछ आ जाता है ? दादाश्री : हाँ, मन-वचन-काया और बाकी सब माया-वाया सबकुछ आ जाता है। अहंकार के अलावा बाकी का सबकुछ पुद्गल के विशेष भाव हैं। अहंकार गया कि सबकुछ गया यानी कि मूलतः सबकुछ अहंकार पर आधारित है । १३ आत्मा के विशेष परिणाम में अहंकार उत्पन्न हुआ और पुद्गल के विशेष परिणाम में, जो मूल स्वाभाविक पुद्गल था न, वह नहीं रहा। प्रश्नकर्ता : स्वाभाविक पुद्गल कैसा था ? दादाश्री : स्वाभाविक पुद्गल सदा शुद्ध होता है । उसमें रक्त, पीप, गंदगी वगैरह कुछ भी नहीं होता । है I प्रश्नकर्ता : स्वाभाविक पुद्गल का अस्तित्व किससे बना है ? दादाश्री : मूलतः वह तो है ही, स्वभाव से अस्तित्व वाला ही अहंकार चिंतन करता है और पुद्गल लेता है रूप... विश्रसा शुद्ध परमाणु ही हैं और परमाणु स्वरूप कहलाते हैं। लेकिन उनका स्वभाव, पौद्गलिक स्वभाव है, क्रियाकारी स्वभाव है, पूरण - गलन
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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