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________________ मूल 'लाइट' (आत्मा का ज्ञान) है, लेकिन लोगों ने अज्ञान प्रदान किया कि आप चंदूभाई हो तो आपने भी मान लिया कि 'मैं चंदभाई हूँ'। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि अहंकार उत्पन्न हो गया और वह अहंकार मूल 'लाइट' का रिप्रेज़न्टेटिव बन गया। जब उस रिप्रेज़न्टेटिव की 'लाइट' से देखा तो वह हुई बुद्धि। कषाय प्रोडक्शन है और मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार उसके इफेक्ट हैं। प्रोडक्शन अर्थात् कॉज़ेज़, अर्थात् विभाविक स्वरूप होना, उपाधि (बाहर से आने वाला दुःख, परेशानी) स्वरूप होना वह । इनमें से प्रथम क्या है? इफेक्ट (मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार) या कॉज़ेज़ (क्रोध-मान-माया-लोभ)? इसमें पहला मूल प्रोडक्शन, क्रोध-मान-माया-लोभ हुए, उनसे कर्म चार्ज होने लगे, वही भावकर्म है। क्रोध हुआ, उसका उपयोग हुआ, उससे कर्म चार्ज होते हैं और अगर वह उपयोग के बिना पड़ा रहे तो कोई हर्ज नहीं। कर्म बंधन होता है, उसके बाद में डिस्चार्ज होते समय उसका इफेक्ट आता है। वही अहंकार है और अंतःकरण जिसमें मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार आते हैं। इफेक्टिव अंत:करण में से अज्ञानी को नया चार्ज होता है और स्वरूप-ज्ञानी (महात्माओं) का चार्ज बंद हो जाता है। इसमें पूरा अंत:करण इफेक्टिव है। (कोई भी कार्य) पहले अंत:करण में होता है, उसके बाद बाह्यकरण में आता है। पहले अंदर सूक्ष्म में क्रोध होता है और जो बाहर निकल जाता है, वह स्थूल क्रोध है। दोनों इफेक्ट ही हैं। इसमें प्रथम कौन है? क्रोध-मान-माया-लोभ माँ-बाप हैं और उसके बाद उनकी वंशावली मन-बुद्धि-चित्त और अहंकार। अव्यवहार राशि के जीवों की तो गाढ़ विभाव दशा होती है। 32
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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