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समर्पण
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मचकुद के पुष्प की भाँति अपने निर्मल जीवन द्वारा तथा अपनी सूक्ष्म - तीक्ष्ण व परिमाजित बुद्धि-प्रतिभा द्वारा बाल-जीवों के लिए उपयोगी और उपकारी, सरस, सरल व सुबोध साहित्य की रचना कर जिन्होंने अनेक भव्यात्माओं को सन्मार्ग प्रदान किया है, ऐसे परमोपकारी हालार-रत्न प्राचार्यदेव श्रीमद् विनय कुदकुद सूरीश्वरजी म. सा. की पुण्यात्मा को यह पवित्र-ग्रंथ समर्पित करते हुए हमें अत्यन्त ही आनन्द हो रहा है, जिनको अदृश्य कृपा से यह दुर्गम कार्य भी सुगम हो पाया है।
बाराधना
-मुनि वज्रसेन विजय -मुनि रत्नसेन विजय
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