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॥ नमो सुयनाणस्स ।। श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला (लाखाबावल) नी योजना
- प्राचीन ग्रन्थोना उद्धार अंगे - श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघो तथा उदार भाविकोने
* नम्र विनंति *
सुज्ञ महाशय,
जणावतां आनन्द थाय छे के श्री जैन शासननो आधार श्रतज्ञान अने जिनबिंब छे श्री जिन मन्दिरो तथा जिर्णोद्धार विगेरे थाय छे ते जेम जरुरी छे अने ते धर्म कार्योमां जेम रस लेवाय छे तेम श्रुतज्ञानना उद्धारना कार्यमां पण रस लेवानी सर्वे श्री संघो तथा भाविकोनी आत्मकल्याणार्थे अगत्यनी फरज छ । ___ घणा प्राचीन ग्रन्थो अलभ्य बन्या छे अने घणा हजी अप्रकाशित पण छे. आ दिशामां अमे प. पू. हालारदेशोद्धारक पू. आ. श्री विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पू. आचार्यदेव श्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरजी म. ना मार्गदर्शन नीचे एक प्रवृत्ति करवानुं नक्की कयु छे. अत्यार सुधीमा ४५ आगम सूत्रो केटलाक आगमोनी टीकाओ तथा पूर्वाचार्योना ग्रन्थोनुं प्रकाशन कयु छ ।
आ योजनामां वांची विचारीने आपश्री योग्य सहकार अने मार्गदर्शन आपशो एवी नम्र विनंति छ ।
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