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“दिगंबर जैन" के इसी अंकका क्रोडपत्र ।
दिगंबरजैनग्रंथमाला नं. ४७ ॥ श्रीवीतरागाय नमः ॥
समाधिमरण
और
मृत्युमहोत्सक।
(पंडित सूरचन्दजी और सदासुखजी कृत)
प्रकाशकमूलचन्द किसनदास कापड़िया-सूरत।
प्रथमावृत्ति]
वीर सं० २४४२
प्रति २२००
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सोनासण (प्रांतिज) निवासी गांधी नहालचंद सांकलचंदके स्वर्गवासी पुत्र जुठाभाईके स्मरणार्थ 'दिगंबरजैन' के . ग्राहकोंको नौवें वर्षका छठा उपहार. "जैनविजय " प्रेस-सूरत.
मूल्य रु० ०-१-६
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