SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परदेशी राजाकी चौपाइ । ve 1 अठारमें बहु जेदो जी ॥ च० १३ ॥ जाण दुवों कीधा उपगारनो, बीसमें पर हितकारो जी | काम कार्य करै घणो तदितसुं, लबधिलपी बिस तारो जी ॥ च० १४ ॥ थोड़े कड़े पिण जाव जाने घो, इक विसमो गुण एमो जी । इत्यादिकश्रावक गुण दिपता, चित जणी गुण एमोजी ॥ चि०१५ सरधावंत गुण करि दिपतो, एहवो चित परधानो जी । दिते बिते दे युगतसुं, दिन २ चढ़ते वांनो जी ॥ चि० १६ ॥ जिन मारगनै घणो दिपावतो हिंसा धर्म दुरंतो जी । परचो बोडैबे पाखएक तनो बाद विवाद पडतो जी ॥ चि० १७ ॥ अतिचार लागा घालवतो, सूत्रमाहि बिसतारो जी। एहवा श्रावकना गुण बरव्या, सुणतां जयतां निसतारो जी ॥ च० १० ॥ ( दादा ) तिन अवसर सऊ जेटनो, जितसत्रु राजान | चित जणी ए तेड़िने बचन कदै बै बांन ॥ १५ ॥ जा तुं नगरी सेतं बिका लेई नेटो एह । परदेशी राजा जणी, पुहुंचावो ससनेह ॥ २० ॥ पगे लागणो माहरो, कहि राजाजी ने जाय । प्रमाण बचन चित करि जियो हाथ नेटो सहाय ॥ ११ ॥ चित जिहां थी For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy