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परदशी गानाकी चौपाई।
दिसे न कोय ॥ ६॥ कपड़ो काढि बजाज जिम बांधि माहि दे भेल । शुरोपानतिम देवने, कति लेइ सकेलि॥७॥ पूरब नव प्रनु कुन हुँतो, बसतो कुन से गाम । करणी इण केस। करी, कहो कृपा करि स्वाम ॥ ॥ पाटिल जब करणी करी, माडि कहे बर्द्धमान । गोतमादिक संघागले, ते सुन ज्यो करि ध्यान ॥ ए ॥ ( ढाल १) तिनकाले तिनहि समेजी, जम्बुदीप मकार । जरत खेत्रे सेतंबिका जी, नगरी हुँती बिसतार हो ॥ गोतम पूरबलो नव एह १० ॥ थति खिमा श्रधिकी करी जी, जहर दियो निज नारी हो । गो० पू०११ मृगबन नाम उद्यानमे जी, दिशा इशानके माद पान फूल फल सोनतो जी, शीतल गहरि गंह हो गो पूरा ११ ॥ सेतंविका नगरी तनो जी, हुतो प्रदेशी राय । हिमवन्त नगरिनी उपमा जी, मोटो राय कहाय हो ॥ गोंग पूण १३ ॥ श्रधम पाप बलज हुँतोजी, अधरमी लोक प्रसिद्ध । अधरम पू हिंमतो जी, अधरम ब्यापार निविधि हो गो० पू०१४॥ श्रधरम मे राच्यो रहे जी, अधरम नो उतपाते । अधरम नी कोइ कहे जी, तुरतर्नु
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