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मम्बुः परिच। सवते पुत्र पाबने रहें. तिनको साधवी ऐसा कहें २॥ मत रोवे तुं मेरा नात, हम तुम जनमे एकी मात । इह नाता तूं नाइ नया, निज अननी का बेटा यया ॥ ३ ॥ पूजा नाता एरुणी कहें, कहा पुत्र तूं रोता रहें । कुबेरदत्त जु मेरा पनी. इस नाते तुज बेटा गिनी ॥४॥ तीजा नाते देवर जान, मत गावे पाहो अयान । मेरे पतिका तुं हैं प्रात, एसच बात कही विख्यात ॥ ५॥ चौधे नान सुना विचार, लगे नतीजा तूं निराधार । मत से जास्त श्राज. बिपिया सुखमे होय अकाज ६ ॥ हे चाचा मत रोवें श्राप, माका पति सो मेरे पार । तसका तुं हें नाइ सही, पचम नाता चाना वह। ॥ ७॥ हे पोता रोता चुप रहो, सोक पुत्रका बेटा कहो । ए खटनाते पोता जया, ए नाता धावकसं थया ॥७॥ स्टनाता जाजसो पहें कचेरदत्त व्रात मुफ रहें। मुज तुझ माता एकी घ्राल, हा तूं जाइ विख्यात ॥ ९॥ जे नाते तुं हैं नात, मेसी साका पति विख्यात । हे दादा सुन मेरी बात, पिता हमारा तिसका तात ॥ १० इंतो है मेरा भरतार, मेतो परणी तेरा बार दे
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