________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Bask9,3x29,9alangemangkasukas,cekas,C9
वहां से सूरिजी सिरोही पधारे । संधनें सुंदर सामैया किया इसमें महाराज सुलतान भी साथ थे । सूरीश्वरकी शक्करशी देशनासे महाराजानें शिकार-मांसाहार-मदिरा एवं परस्त्रीगमन, इन चारों का नियम लेकर अपने जीवनको सफल बनाया ।
जब सूरिवर मेडता पधारे तब राजा सादिमने आपका भव्य एवं प्रभावक स्वागत किया । वहां से आपका ज्येष्ठ सुद १२ के दिन आग्रा में पुनित पदार्पण हुआ । तब संधनें ११ मैल से कल्पनातीत अप्रतिम बडा सामैया किया था । आपके साथ में तब नैयायिक-वैयाकरणचतुर, शतावधानी एवं विविध विषय के प्रकाण्ड मुनिवर ५७ थे।
-: बादशाह को प्रतिबोध :
जैन मंदिर
ज्येष्ठ सुद १३ का दिन सारे जैनसंधके इतिहासमें Goldensun जैसा उदित हुवा था ।
क्योंकि आज सारे राष्ट्र के सम्राट और सारे जैन संघ के सार्वभौम सूरिजी का सुभग मिलन हुआ था ।
सूरीजी अपने विविध विषयों के निष्णात १२ साधुकी मंडली के साथ अकबर को धर्मोपदेश देने के लिये अबुलफजल के महलमें पधारे | बादशाह कुछ कार्य में व्यस्थ था । इधर सूरिजीनें आयंबील कर दिया । तब बादशाह का आमंत्रण आया । ଝB8%B2%E0%B8%9E%E0%B8%B5
11.
For Private and Personal Use Only