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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ वन्दे श्री हीरजगद् गुरुम् ॥ मुनिराज श्री दर्शन विजयजी (त्रिपुटी) कृत जगद् गुरु शासन सम्राट अकबर प्रतिबोधक श्री मद्विजय हीरसूरीश्वरजी की बडी पूजा प्रथम जल पूजा -:दोहा :जय जय सुमति जिणदजी, जय सुपार्श्व जिणंद । जय जय श्रादीश्वर प्रभो, जय जय पार्श्वजिणंद ।। जय सूरि वाचक मुनि, जिन शासन शणगार । जय गुरु हीर सूरीश्वरा, युग प्रधान अवतार ।२। जय चारित्र विजय गुरु, चरण में शीष नमाय।। जग गुरु की पूजा रचू, सब ही को सुखदाय (३। ( ढाल १) ( तर्ज-पासो २ आदीश्वर बाबा, ग्रहो इक्षु रसदान) श्रावो आवो ओ प्यारे सज्जन, करो गुरू गुण गान ॥टेर।। महावीर के पाट परम्पर, हुए श्री युग प्रधान । वचन सिद्ध और उग्र तपस्वी, जगच्चन्द्र सूरि जाण आवो ॥१॥ जिनके चरण में शीष झुकावे, मेद पाट का राण । तपा तपा कहके बुलावे, जैत्रसिंह बलवान ॥२॥ श्री देवेन्द्र सूरीश्वर त्यागी, देव पूज्य श्रुतवान । कर्म ग्रन्थ आदि शास्त्रों का, किया जिनने निरमाण ॥३॥ दादा साहेब धर्म घोष सूरि, त्यागी युग प्रधान । महामंत्र वादी व प्रभाविक, हुए धर्म के प्राण ॥४॥ देवपत्तन में मंत्र पदों से, सागर रत्न प्रधान । गुरु के चरणों में उच्छाले, रत्न ढेर को श्रान ॥शा For Private and Personal Use Only
SR No.034238
Book TitleJagad Guru Hir Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyanandvijay
PublisherHit Satka Gyan Mandir
Publication Year1963
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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