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तिर्यच होते हैं और 'अशोकदत्तकुंवर' को तरह तिर्यंच गति का अनुभव करते हैं।
४ प्रश्न-हे जिनेश्वर ! किस कर्म से जीव मनुष्य होते हैं ?
उत्तर--गौतम ! जो जीव सरलस्वभावी, निरहंकारी, क्रोधरहित और न्यायवान होते हैं, सुपात्र को दान देते हैं, साधुजनों की प्रशंसा किया करते हैं, और किसी के साथ द्वेषभाव नहीं रखते वे जीव मर कर मनुष्य होते हैं और सागरचन्द्र की तरह अनेक मानुष्यभव सम्वन्धि सुख लीलाओं के भोगने वाले होते हैं।
५ प्रश्न- हे जगदगुरु । किस कर्म से मनुष्य स्त्रीपने उत्पन्न होते हैं ?
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