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मानानी गोद गं खेलना बालक दाय के मोड़ें, सोहाम लागे छे तेवो रोते ते विन्यानो गोदमां वनस्कार पर्वत शोभे छे..
बालकना नमणा, नाजुक, मुखना दश्य जेवू हास्य, शाश्वता चंत्यनो हारमाळा छे. जे हसी रहो भन्यांना दिलने, भ वने बोलावो रही छे. जेना दशनथो जोवर पावन बनो जाय छे, आ सर्वे जड छतां सौंदर्यमय पदार्थो प्राणोने महान संदेश पाठवे छ...खरेखर जोवन पण जो गुण सौंदर्यनी चमकने नही प्राप्त करे तो ते जोवन जीवन नयो पग मृत्यु समान छे...."सुरज चमकथी रसदार जोवन ज सन जनुं स्मृतिनिधान बनो शके छे" ए आत्म उत्थान करी शके छे. सुरज चंद्रना किरगाना अभिषा थो आ हारमळा तेजने प्रस रे छ।
___ आ पर्व गोना परम आराध्य-प्रतिकोनी पूजा भावना माटे देवो उत्पाहोत होय छे. प्रभुना जन्म समये त्यां देवो उत्सव करे छ. विद्य चार ग मुनोमो त्या विद्या प्रभावे जाय छे.
परंतु हे चंद्र ! अमे प्रभावहीन, पुण्यहीन, जनविहीन त्यां कई रोते पहोचो श कोए, तो तुं अमरावती ते चैत्योने भून्या वार वंदनावली पाठव श सेवो आशा साथे विरमुं छु...
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