SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुवामांची पाणीना वपराशथी नव पानी भगय छ तेम श्रेयांपरायना भंडारमां हमेश दानवर्षा च लु घतां अखुट समृद्धि रहे छ। रामा श्रेयांसरायना गुणने, स्वभावने अनुम्ल, राणी सत्यको पण शील, रूपने लावण्पनी प्रतिमा छ । धर्मना अलंकारथी एनुं लावण्य अनेकगणुं दीपो उठयं छ । कमल तो रात्रे के दिने खले परंतु सत्यको राणीनं मुखकमल रात दिन हास्यपरिमलथी वोकसित रहे छे ६४ कलाथी दे दोय्यमान एन जीवन जोई हे चंदरराज तुं पण हैये बळे छे एटले ज तुं क्षण थयो छ। उत्तम राजार णी अने प्रन थी सुशोभित पुंडरोकर्गःणी नगरी विजयनो प्राण छ। प्राण विना देह धडकतो नथी.. प्रभु न होय तो पुंडरीक गोणीनुं महत्व कयां? पुंडरीक गीणीनुं शौर्य ए छे के तेने बे वैभव ने जीत्या छे. धर्म वैभव.. धन वभव... धर्म दातार......धन दातारी .... जेनी सानिध्यमां छे. पुष्कलावती विजयनो पूर्वे नीलवंत पर्वत केवो शोभी रहेल छे.... आतम साथे वातो करतो ध्यानमग्न कोई अवधून योगो... पश्चिम तरफ सीता नदो ज.णे श्वेत वस्त्रो सर्जेली परिवारिका विजयाना पाद पखाळती। उत्तर तरफ एक शेल नामना वक्षस्कार पर्वते तो सौंदर्यनी पराकाष्टा पर हद करी दीधो ! For Private and Personal Use Only
SR No.034236
Book TitleBharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitgunashreeji
PublisherSundar Sahitya Seva Sadan
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy