________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सत्यनें दफन थाय छे.. आदर्शोनु मरण नोपजे छ... करूणान गक्तु भीसाय छ। अने छेवटे ज वन नरो कुरतानं दर्शन बनी जाय छ।
ते पण जीवनना अणुए अणुए अंगे अंगे सुखनो नशो चढे छ। सुख उमराय छे अने वेराय पण छ। आ घटमाल मां सुखनु कल्योन स्वप्न, स्वप्न ज बनी रहे छे, अने ते अंधारी खीणमां जई पडे छे, त्यारे अंतरनं आंद आकार पामी बहार नीकले छ । हैया दुःख वराल बनी आंखोथी वरसाद वरसावे छ। शरीर कौवत कथली जई कायाथी पामर बनावे छे। जीवननी लाली आकाशमा उडी जई संध्यान दर्शन करावे छ ।
जीवन जीवता छता नरकनी यातनानो आर्तनाद...
सक्रिय छता यंत्र समान जडतानो अनुभव... प्राण छतां कारमा मृत्यनो अंजाम...
दर्द दिल दशा बरी छ, भव्य भूतकाल ने देखे छे अने विरहथी वर्तमान ने व्यथित बनावे छ। व्यथायी व लोपात करतो प्राणो भिखारी बने छ। भीख माटे पुकार करे छ।
दुःखथी रिबाता नयना याचना करे छे सथवारनी...
हैयानी हाय ने सांभलनार कोई कदरदाननी..,
For Private and Personal Use Only