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प्रकरण...पहेलु -: निसर्गर्नु अद्वितीय दान :
विश्वना चोगानमा एक मोटो प्रश्न छ, सुख क्या? छता मानवोन एक ज ध्येय छे के सुख भलो। सुख ने माटे दोडधाम अने सुखने माटे अनेकविध काम...
मानवी सुख पाछण पागल थईने अनेक गडमथल करे छ। विराट आकाशनी सटेलगार सेवे छे। अंतर-उन्डा सगर अने धरतीना पेट चोरी भीतर ने अनुभवे छे। सुर्य नो आतापना अने चंद्र नी शीतलताना कीरणो सागे आफतोना पहाड़ो सामे अने दुखना दावानल सामे पण टट्टार रहेवाना प्रयत्नो करे छे, एक सुखना केफ पर...
इंद्र तुल्य संपत्ति शौंदर्य अने सता मलता पण प्राणीनी अंतर आग पण जलन बने छ। आग जेवो तृष्णानी सत्तामा है विश्वना कोणे कोणे अने कणे कणे धूमी वले छे। परन्तु जे सुखनी तमन्ना अने एषणा छे ते हाथमां हाथताली बई कयांक सरको जाय छ। दुःख नो ज अनुभव थाय छे अने चित्त बहावरे बने छ । अंते धवायेला वाघनी माफक (बेफम) दोट मुके छे। ऐ आंघली दोट मा ते काईक खुवारी करी बेसे छे। नैतिक धोरण चकी जाय छे...गुणोनुं दफन थाय छे...
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