________________
(२) स्थुल मृषावाद जिससे राजदंडे, लौकमें भडाचार हों दुनीयोंमे अप्रतित हो एसा मृषावाद नही बोलना। "जैसे कन्या, गाय, भूमिका स्थापण झूठी गावा देना".. ___(३) स्थुल चौरी 'अदत्त' जिससे राज दंडे, लौकमें भडाचार हों दुनियोंमे अप्रतित हो एसी चौरी न करना । जेसे क्षातर . क्षण गांट छेदन ताला पर दूसरी चावी लगाना वट पाड (घाडा 'पडणी लुट करणी ) भन्यकि वस्तु ले अपणी मालकी करना ।" ___(४) स्थुल मैथुना ( सदारा संतोष ) पर स्त्रि वैश्या विधवा कुमारीक कुलंगना इत्यादिका त्यागकर मात्र सदारासे ही संतोष करना उसमे भी मर्याद रखना।" ... __.. (५) स्थुल परिग्रह (इच्छपरिमाण ) इच्छाका परिमाण करनेके बादमें अधिक ममत्व भाव न बढ़ाना ।
इस पांच देशमूलगुण प्रत्याख्यानके अधिकारी श्रावक होते है इसमे मौंख्य तो दोय करण तीन योगोंसे प्रत्याख्यान होते है सामान्यतासे स्वइच्छा भी करण योगसे प्रत्याख्यान कर सक्ते है ।
. (१०) हे भगवान् । उत्तरगुण प्रत्याख्यान कितने प्रकारके है? - (उ०) दो प्रकारके है यथा (१) सर्व उत्तरगुण प्रत्या० (२) देश उत्तरगुण प्रत्याख्यान ।
(५०) हे भगवान् सर्व उत्तरगुण प्रत्य० कितने प्रकारके है ? (उ०) सर्व उत्तरगुण प्रत्य० दश प्रकारके है-यथा
(१) "अणागयं" अमुक तीथीकों तपश्चर्य करने का निर्णय कियाथा परन्तु मुकर करी हुइ तिथिकों किसी आचार्यादि वृद्ध