________________
(४१) सके है। शास्त्रकारोंने प्रत्याख्यान करनेकि चतुर्भागी बतलाई है । यथा
(१) प्रत्याख्यान करानेवाला गीतार्थ द्रव्य क्षेत्र काल माव बल संहनन अवसर आदिके जानकार हो । प्रत्याख्यान करनेवाले भी गीतार्थ हो। प्रत्याख्यान करते समय करण योग शरीर सामर्थ्य आदिका ज्ञाता हो । यह प्रथम भांग शुद्ध है।
(२) प्रत्याख्यान करानेवाला गीतार्थ हो और प्रत्याख्यान करनेवाला अगीतार्थ हो । यह भी दुसरे नम्बरमें शुद्ध है कारण प्रत्याख्यान करानेवाला ज्ञाता होनेसे अज्ञात जनको भी द्रव्यादि जानके प्रत्याख्यान करा देते है और संक्षिप्त समझानेपर भी प्रत्या ख्यान शुद्ध पालन कर सके। गीताोंकि निश्चय क्रिया करना स्वीकार करी है। .
(३) प्रत्याख्यान करानेवाळे अगीतार्थ और प्रत्याख्यान करनेवाला गीतार्थ इस भांगाको तीसरा दरजे शुद्ध काहा है, कारण प्रत्याख्यान पालन करनेवाला पालन करनेमें गीतार्थ है परन्तु प्रत्याख्यान करानेवाला अगीतार्थ होनेसे उन्होंने किस करण योगसे प्रत्याख्यान कराया वास्ते इस भांगाको शास्त्रका रोंने तीसरे द शुद्ध बतलाये है।
(४) प्रत्याख्यान करानेवाले और करनेवाले दोनों अगीतार्थ हो यह भांगा बिलकुल ही अशुद्ध है।
सूत्रकार(१०) हे सर्वज्ञ ! कोई जीव एसा प्रत्याख्यान करे । (१) सर्व प्राण वैकेलेन्द्रिय प्राण धारक ।