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(३८) सनप्रमा नरफके पूर्वके चरमान्तसे मरके पश्चमके चरमान्तमें उत्पन्न हुवे जीस्के ४०० भांगा कहा है इसी माफिक पश्चमके चरमान्तसे परके पूर्वके चरमान्तमें उत्पन्न हुवे जीके मी ४०० मांगा । एवं दक्षिणके चरमान्तसे मरके उत्तरके चरमान्नमें उत्पन्न हुवे जीसके ४०० मांगा। उत्तरके चरमान्तसे मरके दक्षिणके घरमान्तमें उत्पन्न हुपे जीसका मी ४०० मांगा एवं च्यारों दिशावोंके १६०० मागे होते है । भावना पूर्ववत् समझना ।
जेसे रत्नप्रमाके च्यारों दिशाओंका चरमान्तसे १६०० माग किया है इसी माफीक शार्कर प्रमाका भो ११०० भागा करना परन्तु बादर ते उकायके जीव मनुष्य लोकसे मरके शार्कर प्रमाके चरमान्तमें उत्पन्न हुवे तथा शार्कर प्रमाके चरमान्तसे मरके मनुष्य लौकमें उत्पन्न हुवे जीसके रहस्तेमें २-३ समय लागे कारण शार्करप्रमा नरक भढाई राजके विस्तारवाली है वास्ते पहले समय समश्रेणिकर तमनालीमें आवेगा । दूसरे समय समवेणार मनुष्य लोकमें आवे अगर विग्रह करे तो तीन समय मी लागे शेषाधिकार रत्नप्रभावत समझना १६०० मागा शार्कर प्रमाका
एवं बालुका प्रभाका मी १६०० मांगा एवं पङ्क प्रमाका मी १९०० मांगा एवं धूमप्रभाका मी १६०० मांगा एवं तमप्रमाका मी १६०० मांगा एवं तमतमा प्रमाका मी १६०० मांगा नोट सातों नरकके चरमान्तमें पादर ते उकायके पर्याप्त भर