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दो आकाश अवगाह्ये प्रदेश बहुत है एवं यावत नौ अब० से दशाकाश अवगाह्य प्रदेश बहुत है, दशाकाश अवगाह्यो संख्यात आकाश प्रदेश अवगाह्य प्रदेश बहुत, संख्यात० से असंख्याते प्रदेश अवगाह्ये प्रदेश बहुत है। - (५-६) कालापेक्षा द्रप और प्रदेशकी अल्या बहुत्व क्षेत्रकि माफिक समझना ।
(७-८) मावापेक्षा द्रव्य और प्रदेशकि मलबहत्व पांच वर्ण दोयगंध पांच रस और चार स्पर्श एवं १६ बोलोकि अल्पा० परमाणुकी माफीक अर्थात द्रव्यकि नं० १ प्रदेशकि नं. २माफीक समझना और कर्कशम्पर्शकि अल्पा बहुत यथा= एक गुण कशा स्पर्शसे दो गुण कर्कश स्पर्श के द्रव्य बहुत है एवं नौ गुणसे दश गुणके द्रव्य बहुत, दश गुणसे संख्यात गुणके बहुत, संरूपात गुणोंसे असंख्यात गुणके बहुत, असंख्यात गुण कर्कश स्पर्शक द्रव्यों से अनन्त गुण कर्कश सर्शके द्रव्य बहुत है। इसी माफीक प्रदे. शकी मी अल्ला० समझना एवं मृदुस्पर्श, गुरुस्पर्श, घुस्पर्श मी समझना इति ।
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नम्बर ५ सूत्र श्री भगवतीजी शतक २५ उद्देशा ५
(कालधिकार) (० हे भगवान् ! एक आविलकामें क्या संख्याते समय होते हैं ? असंख्याते समय होते है ? अनन्ते समय होते है ?