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(८) ज्ञान-तीन ज्ञान तीन अज्ञानकि ममनावाला । । (९) योग तीन-(१०) उपयोग दोष (११) संज्ञा च्यार (१२) कषाय च्यार वाला। . (१३) इन्द्रिय पाचोंवाला (१४) समुद्घात पांच प्रथमसे। (१९) वेदना-साता असाता दोनों (१६) वेद तीनोवाला। (१७) स्थिति० ज० अन्तर महुर्त उ• कोडपूर्व वाला। (१८) मध्यवसाय-असंख्याते. प्रसस्थ. अपसस्थ.
(१९) अनुबन्ध न• अन्तर महुर्त. उ० कोडपूर्व. . (१०) संभहो. भवापेक्षा. ज. दोय भव उ• भाठ भव. कालापेक्षा. ज. दोय अन्तरमहुर्त उ० च्यार कोडपूर्व और ८८००० वर्ष अधिक निस्के नौगमा पूर्ववत लगा लेना निस गमामें तफावत हे सो इस माफीक है ।
मध्यम गमा तीन ४-५-५ प्रत्यक गमामें नाणन्ता.नो.नी. (१) अवगाहाना न० उ० अंगुळके असंख्यातमें भाग । (२) लेश्या तीन (३) दृष्टि एक मिथ्यात्वकि (४) ज्ञान नही अज्ञान दोय (५) योग एक कायाकों। (६) समुदधात तीन प्रथमकि (७) स्थिति न० उ० मन्तर महुर्त (८) एवं अनुसन्ध (९) अध्यवसाय. असंख्य. अप्रसस्थ ।
उत्कृष्ट गमा तीन ७-८-९ नाणन्ता दो दो। स्थिति. ज० उ० कोडपूर्वकि एवं अनुबन्ध । नौगमाका काल पृथ्वीकार और तीयंच पांचेन्द्रियके स्थितिसे लगा लेना । अनाय सब पूर्वबत समझना।