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.: बेन्द्रिय मरके पृथ्वी कायमें उत्पन्न हुवे, तो ज० तर महुर्तमें उत्कृष्टी २२००० वर्षोंकि स्थितिमें (१) उत्पात बेन्द्रियसे (२) परिमाण १-३-३ सं• असंख्याते (३) संहनन एक छेवटावाला (४) अवगाहान ज० अंगु० असं० भाग उ० बारह योजनवाला (५) संस्थान एक हुन्डक (६) लेश्या तीन (७) दृष्टी दोय० (८) ज्ञान-दोयज्ञान दोय अज्ञानकि नियमा (९) योग दोय (१०) उपयोग दोय (११) संज्ञा च्यार (१२) कषाय च्यार (१३) इन्द्रिय दोय (१४) समुद्धात तीन क्रमःसर (१५) स्थिति ज० अन्तर उ० बारहा वर्ष (१६) अध्यवसाय प्रसस्थाप्रसस्थ (१७) वेदना दोनों (१८) वेद एक नपुंसक (१९) अनुबन्ध स्थितिवत् (२०) संभ हों भवापेक्षा न० दोय उ० संख्याते भव कालापेक्षा ज० दोय अन्तर महुर्त उ० संख्यातों काल तक परिभ्रमन करे, जिस्का गमा नौ। निस्मे मध्यमके तीन गमा ४.५.६ में शरीर अवगाहाना न० उ० अंगुलके असंख्यातमें भाग दृष्टी एक मिथ्यात्वकि ज्ञान नहीं किंतु दोय अज्ञान है । योग एक कायाका स्थिति ज० उ० अन्तर महुर्त अनुबन्ध ज० उ० अन्तर महुर्त अध्यवसाय अप्रतस्थ उत्कृष्ट गमातीन ७.८.९ परन्तु स्थिति तथा अनुबन्ध न. उ. बारह वर्षका है तथा ३.६.७.८-२ इस पांच गोंमें भव ज. दोय उ० आठ भव करे शेष १.२.४-५ इस च्यार गमोंमें न० दोयभव उ० संख्याते भव करे काल. ज० दोय अंतर महुर्त उ० संख्या? काल लागे गमा पृथ्वीकाल और बेन्द्रियकि स्थितिसे पूर्ववत् लगा देना ।
वेइंद्रियकि माफीक तेन्द्रिय भी समझना परन्तु यहा अव.