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(८) द्रष्टी तीन-सम्पुरण भवापेक्षा होनेसे तीन द्रष्टी है। (९) योग तीन-तीनों योगवाला । (१०) उपयोग-दोय-साकार आनाकार । (११) संज्ञा-संज्ञाच्यारवाला। (१२) कषायच्यार-च्यारोंकषायवाला । (१३) इन्द्रिय-पांच-पांचोइन्द्रियवाला। (१४) समुद्घात-पांच समुद्घातवाला । क्रमःसर (१५) वेदना-साता असाता दोनो वेदनावाला । (१६) वेदतीन-तीनों बेदवाला। (१७) अध्यवसाय-असंख्याते वह अप्रशस्थ । (१८) आयुष्य-ज० मन्तर महुर्त । उ० कोडपूर्ववाला । (१९) अनुबन्ध आयुष्व माफीक (कायस्थिति)
(२०) संभहो-कालादेशेण और भवादेशेण। भवापेक्षा ज० दोयमव उ० आठभव, कालापेक्षा नौ पहला लिख गया है। ___ इस गमानामाके चौवीशवां शतकका चौवीस उदेश है यथा सातों नरकका प्रथम उदेशा, दश भुवनपतियोंके दश उदेशा, पांच स्थावरोंका पांच उदेशा, तीन वैकलेन्द्रिका तीन उदेशा, वीर्यच पांचेन्द्रिय, मनुष्य, व्यन्तरदेव, ज्योतीषीदेव, वैमानिकदेव, इन्ही पांचोका प्रत्यक पांच उद्देशा एवं सर्व मीलके २४ उद्देशा है.।
(१) नरकका पहला उदेशा है जिस नरकका सात भेद है