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भीव मनुष्यमें आवे जिस्का नाणन्ता च्यार च्यार ज० गमा तीन नाणन्ता दो दो (१) स्वस्व स्थानका न. आयुष्य (२) अनुबंध आयुष्य मादीक । उ० गमातीन नाणन्ता दो दो (१) स्वस्व स्थानका उ० मायुष्य (२) अनुबन्ध आयुष्य माफीक एवं १२८ तथा पूर्वका ७८ मोलानेसे २०१ नाणन्ताहुवा ।
सर्व ६०-२६७-१२०-११४-७०-८४-१६८-७१२ १९७-२०६ कुल १९९८ नाणन्ता हुवा । इति ।। ___यह आठ द्वारोंसे गमाका थोकडा भव्यात्मावोंके कंठस्थ करनेके लिये संक्षिप्तसे सार लिखा है इस्के अन्दर ऋद्धिका २० द्वार है वह लघु दंडकादिसे स्व उपयोगसे सर्व प्रयोगस्थान पर
गालेना उसका विस्तार थोकडा नम्बर २में लिखा जावेगा परन्तु पेस्तर यह थोकडा कंठस्थ करलेनेसे आगेका सबन्ध सुख पूर्वक समझमें आते जावेंगा वास्ते हमार निवेदन है कि द्रव्यानुयोग रसीक भाइयोंको एसे अपूर्व ज्ञानकों कंठस्थ कर अपना नर भवकों अवश्य पवित्र बनाना चाहिये । किमधिकम्
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकडा नं. २ . सूत्र श्री भगवतीजी शतक २४ वां,
(गमाधिकार ) इस महान् गंभिर रहस्यवाला गमाधिकार समझनेमें मौख्य साहित्यरूप लघु दंडक है वास्ते प्रथम पाठक वर्गकों लघुदंडक कण्ठस्थ करलेना चाहिये।