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२४६ (२२), एवं सुनलेने पर तथा स्वयं जानलेनेपर आलोचना करने योग्य प्रायश्चित्तकी आलोचना नहीं करे. यह हेतु उसके साथ आहारपाणी करे. ३
(२३) संकल्प-अमुक दिन आलोचना कर प्रायश्चित्त ले. वेगा. परन्तु जबतक आलोचना कर प्रायश्चित्त नहीं लीया है, वहांतक उसे दोषित साधुके साथ आहार पाणी करे, करावे, करतेको अच्छा समझे. जैसे च्यार सूत्र लघु प्रायश्चित्त आश्रित कहा है, इसी माफिक च्यार सूत्र ( २४-२५-२६-२७ ) गुरुप्रायश्चित्त आश्रित कहना. इसी माफिक च्यार सूत्र २८-२९-३०-३१। लघु और गुरु दोनों सामेलका कहना. x
(३२) ,, लघु प्रायश्चित्त तथा गुरु प्रायश्चित्त, लघु प्रायचित्तका हेतु, गुरु प्रायश्चित्तका हेतु, लघु प्रायश्चित्तका संकल्प, गुरु प्रायश्चित्तका संकल्प. सुनके, हृदयमें धारके फिर भी उस प्राय. श्चित्त संयुक्त साधुके साथ एक मंडलपर भोजन करे, करावे, करतेको अच्छा समझे.
भावार्थ-कोइ साधु प्रायश्चित्त स्थान सेवन कर आलोचना नहीं करते है. उसके साथ दुसरे साधु आहार पाणी करते हो, तो उसे एक कीस्मकी सहायता मिलती है. दुसरी दफे दोष सेवनमें शंका नहीं रहेती है. दुसरे साधु भी स्वच्छंदी हो प्रायश्चित्त सेवन करनेमें शंका नहीं लावेंगा तथा दोषित साधुवोंके साथ भोजन करनेवालोंमें एकांश व्याप्त होगा, इत्यादि. इसी वास्ते
x एक प्राचीन प्रतिमें गुरु प्रायश्चित्त और लघु प्रायश्चित्तंस भी च्यार सूत्र लिखा हुवा है. विकल्पके संबंधसे यह भी च्यार विकल्प हो सक्ते है. तथा लघु प्रा०का हेतु, गुरु प्रा० संकल्प, लघु प्रा० संकल्प, गुरु प्रा० हेतु. लघु गुरु दोनोंका हेतु तथा दोनोंका संकल्प यह भी च्यार सूत्र है.