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રકાર
वांसपर खेलनेवाले, मल्ल--मुष्टियुद्ध करनेवाले, भांड--कुचेष्टा करनेवाले, कथा कहनेवाले, पावडे जोड जोड गानेवाले, बांदरेको माफिक कृदनेवाले, खेल तमासा करनेवाले, छत्र धरनेवालेइन्होंके लीये अशनादि आहार बनाया हो, उस आहारसे साधु ग्रहन करे. ३ कारण-अन्तरायका कारण होता है.
(२३) , राज्याभिषेक समय, जो अश्व पालनेवाले, हस्ती पालनेवाले, महिष पालनेवाले, वृषभ पालनेवाले, एवं सिंह, व्या. घ्र, छाली मृग, श्वाम, सूवर, भेड, कुकडा, तीतर, वटेवर, लावग, चल, हंस, मयूर, शुकादि पोषण करने वाले, इन्हीके मर्दन करनेवाले, तथा इसिको फिराने खीलानेवाले, इन्होंके लीये च्यार प्रकारका आहार निष्पन्न कीया हुवा आहार साधु ग्रहन करे, क. रावे, करतेको अच्छा समझे. वह मुनि प्रायश्चितका भागी होता है.
(२४), राज्याभिषेक समय, जो सार्थवाहकके लीये, पग चंपी करनेवालोंके लीये, मर्दन करनेवालोंके लीये, तैलादिका मालीस करनेवालोंके लीये, स्नान मज्जन करानेवालोंके लीये, शंगारसजानेवालों के लीये, चम्मर, छत्र, वस्त्र, भूषण धारण करानेवालोंके लीये, दीपक, तरवार, धनुष्य, भालादि धारण करनेवालोंके लीये, अशनादि च्यार प्रकारका आहार बनाया, उस आहारसे मुनि आहार ग्रहन करे. भावना पूर्ववत्.
( २५ ) ,, राज्याभिषेक समय, जो वृद्ध पुरुषोंके लीये, कृत नपुंसकोंके लीये, कंचुकी पुरुषोंके लीये, द्वारपालोंके लीये, दंड धारकोंके लीये बनाया आहार साधु ग्रहन करे. ३
(२६) ,, राज्याभिषेक समय जो कुब्ज दासीयोंके लीये, यावत् पारसदेशकी दासीयों के लोये बनाया हुवा आहार, मुनि ग्रहन करे. ३ भावना पूर्ववत् अन्तराय होता है.