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२३० कि-यह कोई प्रतिपक्षीयोंकि तर्फसे तो न आया होगा ? इत्यादि शंकाके स्थानोंको वर्जना चाहिये.
( ३५ ) एवं लोहाके आगर, तंबाका, तरुवेके, सीसाके, चंदीके, सुवर्णके, रत्नोंके, वनके आगरकी नवीन स्थापना होती हो वहां जाके साधु अशनादि आहार ग्रहन करे. ३
(३६), मुंहसे बजानेकी वीणा करे. ३ (३७) दांतोंसे बजानेकी वीणा करे.३ (३८) होठोंसे बजानेकी वीणा करे. ३ (३९) नाकसे बजानेकी वीणा करे. ३ ' (४०) काखसे बजानेकी , (४१) हाथों से बजानेकी , (४२) नखसे बजानेकी (४३) पत्र वीणा (४४) पुष्प वीणा (४५) फल वीणा (४६) बीज वीणा (४७) हरी तृष्णादिकी वीणा करे. ३
इसी माफिक मुंह वीणा बजावे, यावत् हरि तृणादिकी वीणा बजावे के बारह सूत्र कहना. एवं ५९.
(६०), इसके सिवाय किसी प्रकारकी वीणा जो अनुदय शब्द विषयकी उदीरणा करनेवाले वाजिंत्र बजावेगा, वह साधु प्रायश्चित्तका भागी होगा. . भावार्थ-स्वाध्याय ध्यानमें विघ्नकारक, प्रमादकी वृद्धि करनेवाला शब्दादि विषय है. इसीसे मुनियोंको हमेशां दूर ही रहना चाहिये.