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(७४) होनासे वेदके निर्जरा करते है नये कम दलक संग्रह करते है इस्का भांगा च्यार है यथा-(१) आत्माके एक देश (विभाग) से कांक्षामोहनियका एक देशका बन्द होता है ? (उतर) नहि होवे। कारण जो मध्यवसाय उत्पन्न होता है वह आत्माके सर्व (मसख्याते) आत्मप्रदेशोंसे उत्पन्न होते है और जो अध्यवसायके हेतु कारणसे कांक्षामोहनिय कर्मदल एकत्र हुवे है वह भी सबके सब ही आत्मप्रदेशोंके साथ बन्ध होते है वास्ते 'देशसे देश' बन्धनही होता है।
(२) आत्माके एक देश और कांक्षा मोहनिय कर्म दल सव का बन्ध होता है ? ( उत्तर ) नहीं होवे भावना पूर्ववत् ।। . (३) मात्माका सर्व प्रदेश और कांक्षा मोहनियके एक देशसे बन्ध होता है ? (उत्तर) नहीं होवे | भावना पूर्ववत् ।
(४) मात्माका सर्व प्रदेश और कांक्षा मोहनीय ग्रहन किये सर्व दलकसे बन्ध होवे ? हां हो शक्ते है भावना पूर्ववत् । तात्पर्य च्यार भांगोंसे प्रथमके तीन मांगा निषेदकीये है और चोथा भांगा सर्वसे सर्वका वन्ध होता इसी माफीक नरकादि २१ दंडकके जीवोंका भी प्रश्नोत्तर समझना एवं २५ मलापक हुवे । इसी माफीक।
१५ भूत कालका समुच्चय जीव और २४ दंडक २५ भविष्य कालका , " " "
२५ वर्तमान कालका , " " " - एवं १०० अलापक कांक्षा मोहनि कर्म बन्ध अध्यवसायकि अपेक्षा बन्धके हुवे ।