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(८) सत्व माषाके बोलने में निःशंक हो। यह आठ गुणोंवाला शिक्षा देने योग्य होता है । (१) वार वार क्रोध करनेवाला हो। (२) दीर्घकाल क्रोधको धारण करनेवाला हो । (३) मित्रद्रोही राजद्रोही कृतनी हो ।
(४) ज्ञान प्राप्तकर अभिमान करनेवाला हो या ज्ञान दातासे द्रोह रखे।
(९) अपना अप्राध दुसरोंके शिर डालनेवाला हो। १६) सज्जन या मित्रपर विनोकारण कोणतुर हो। (७) मित्रों के मुहपर मीठा पुठपर अवगुन बोलनेवाला हो। (८) असंबद्ध भाषा या शांकामे भी निश्चय भाषा भाषो हो । (९) दुसरे जीवोंका द्रोह-अहित करनेवाला हो। (१०) अभिमानसे दूसरेको हलका पाडनेवाला हो। (११) रस लोलुपताके प्रासादमें रमनेवाला हो। . (१२) अपनि इन्द्रियोंकों मनमानि मोज करानेवाला हो। (१३) आहार पाणी आदिका संविभाग न करनेवाला हो । (१४) अप्रतितके कार्यमें प्रवृति करनेवाला हो ।
इन्ही १४ बोलोवाले को अविनित केहते है। - (१) नितीवान गुरुसे नम्रतापूर्वक व और गुरु महाराजसे. विचे आसनपर बेठनेवाला हो।
. (२) चपलता रहीत शरीरचपलता, स्थान चपलता, भाषाच. पता, मावचपलता (सुत्रादि लेनेदेनमें) इन्ही चपलतासे मुक्त हो हरेक कार्य करे वह धीयता के साथ करे।