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________________ विलास आश्चर्यकारी है-इत्यादि अच्छा सुन्दर रुप शृंगार कर बहुतसे दास-दासीयों नांजर फोजोंके परिवारसे अपने घरसे नीकले बाहारकी उत्थानशालामें चेलणा राणी आइ है. राजा श्रेणिक चेलणा राणी साथमें रथपर बैठके राजगृह नगरके मध्य बाजार होके जैसे उववाइजी सूत्रमें कोणिक वन्दनाधिकारमें वर्णन किया है. इसी माफिक बडे ही आडम्बरसे भगवानको वन्दन करनेको गये. भगवान के छत्रादि अतिशयको देख आप सवारीसे उतर पैदल पांच अभिगम धारण करते हुवे जहां भगवान् विराजमान थे वहांपर आये. भगवानको तीन प्रदक्षिणा दे वन्दन-नमस्कार कर राजा श्रेणिकको आगे कर चेलणा आदि सब लोग भगवानकी सेवा-भक्ति करने लगे. उस समय भगवान् वीरप्रभु राजा श्रेणिक, राणी चेलणा आदि मनुष्य परिषद, यति परिषद, मुनि परिषद, देव परिषद, देवी परिपद-इत्यादि १२ प्रकारकी परिषदकी अन्दर विस्तारसे धर्मकथा सुनाइ. विस्तार उववाइजी सूत्रसे देखे. परिषद भगवान्की मधुर अमृतमय देशना श्रवण कर बडा ही आनन्द पाया, यथाशक्ति व्रत, प्रत्याख्यान कर अपने अपने स्थानकी तर्फ गमन किया. राजा श्रेणिक राणी चेलणा भी भगवानकी भवतारक देशना सुन, भगवान्को वन्दननमस्कार कर अपने स्थानपर गमन किया. वहांपर भगवान्के समवसरण में रहे हुवे कितनेक साधु
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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