________________
कल्पै. तथा गर्भवतीके लिये, बालकके लिये किया हुवा भी नहीं कल्पै. जो स्त्री अपने बच्चेको स्तनपान कराती हो, उन्हके हाथसे भी लेना नहीं कल्पै. दोनों पांव डेलीकी अन्दर हो, दोनों पांव डेलीकी बाहार हो, तो भी भिक्षा लेना नहीं कल्पै. अगर एक पांव बाहार, एक पांव अन्दर हो तो भिक्षा लेना कल्पै.
(३) मासिक प्रतिमा स्वीकार किये हुवे मुनिको गौचरी निमित्ते दिनका आदि, मध्यम और अन्तिम-ऐसे तीन काल कल्पै. जिसमें भी जिस कालमें भिक्षाको जाते है, उसमें भिक्षा मिले, न मिले तो इतनेमें ही सन्तोष रखे. परन्तु शेषकालमें भिक्षाको जाना नहीं कल्पै.
(४) मासिक प्रतिमा स्वीकार किये हुवे मुनिको छे प्रकारसे गौचरी करनी कल्पै-(१) पेला सम्पूर्ण संदुकके
आकार च्यारों कौनोंके घरोंसे भिक्षा ग्रहन करे. (२) अदपेला, एक तर्फके घरोंसे भिक्षा ग्रहन करे. (३) गौमूत्रिका-एक इधर एक उधर घरोंसे मिक्षा ग्रहन करे. ( ४ ) पतंगीयापतंगकी माफिक एक घर किसी महोलाका तो दूसरा किसी महोलाका घरसे भिक्षा ग्रहन करे. (५) संखावर्तन-एक घर उंचा, एक घर नीचासे भिक्षा ग्रहन करे. (६ ) समसीधा-पंक्तिसर घरोंकी भिक्षा करे.
(५) मासिक प्रतिमा स्वीकार किये हुवे मुनिको