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कंकर कर, केह लू कर, मारो, पटिो, परिताप करो, इसी माफिक खजन, परजन, परको स्वल्प अपराधका महान् दंड करनेवाले, ऐसे क्रुर पुरुषों से उन्होंके परिवारवाले दूर निवास करना चाहते है. जैसै बीलीसे चुहें दूर रहते है. ऐसे निर्दय अनार्योंका इस लोकमें अहित होता है, हमेशा कोपित रहता है, और परलोकमें भी दुःखी होता है. अनेक क्लेश, शोक, संताप पाता है. वह अनार्य दूसरोंकी संपत्ति देख महान् दुःख करता है. उसको नुकशान पहुंचानेका इरादा करता है. वह दुष्ट परिणामी उभय लोकमें दुःखपरंपराको भोगवता है. .
ऐसा अक्रियावादी पुरुष, स्त्री संबंधी ( मैथुन) कामभोगोंमें मूछित, गृद्ध, अत्यंत आसक्त, ऐसा च्यार, पांच, छे दश वर्ष तथा स्वल्प या बहुतकाल ऐसे भोगोपभोग भोगवता हुवा बहुत जीवोंके साथ वैर-विरोध कर, बहुत जबर पापकर्म उपार्जन कर, कृतकर्म-प्रेरित तत्काल ही उस पापकर्मोंका भोक्ता होता है. जैसे कि लोहाका गोला पानीपर रखने से वह तत्काल ही रसातलको पहुंच जाता है. इसी माफिक अक्रियावादी वज्रपापके सेवनसे कर्मरुप धूली और पापरुप कर्मसे चीकणा बन्ध करता हुवा बहुत जीवोंके साथ वैर, विरोध, धूर्तबाजी, माया, निबिड मायासे परवंचन, आशातना, अयश, अप्रतीतिवाले कार्य करता हुवा बहुत त्रस, स्थावर प्राणीयोंकी घात कर दुर्ध्यान अवस्थामें कालअवसरमें