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________________ (२०) भात-पाणीकी शुद्ध गवेषणा न करनेसे अस० दोष. इस बोलोकों सेवन करनेसे साधु, साध्वीयोंको असमाधि दोष लगता है. अर्थात् संयम असमाधि ( कमजोर ) को प्राप्त करता है. वास्ते मोक्षार्थी महात्मावोंको सदैवके लीये यतना पूर्वक संयमका खप करना चाहिये. ॥ इति प्रथम अध्ययनका संक्षिप्त सार ॥ (२) दूसरा अध्ययन. जैसे संग्राममें गये हुवे पुरुषको गोलीकी चोट लगनेसे अथवा सबल प्रहार लगनेसे बिलकुल कमजोर हो जोता है; इसी माफिक मुनियों के संयममें निम्न लिखित २१ सबल दोष लगनेसे चारित्रं बिलकुल कमजोर हो जाता है. यथा(१) हस्तकर्म ( कुचेष्टा ) करनेसे सवल दोष. (२) मैथुन सेवन करनेसे सबल दोष. (३) रात्रिभोजन करनेसे ,, , (४) आदाकर्मी आहार, वस्त्र, मकानादि सेवन करनेसे स बल दोष. (५) राजपिंड भोगनेसे सबल दोष. (६) मूल्य देके लाया हुवा, उधारा हुवा, निर्बलके पाससे __* रानपिंड-(१) राज्याभिषेक करते समय, (२) राजाका 'बलिष्ठ आहार ज्यों तत्काल वीर्यवृद्धि करे, (३) रानाका भोजन समये बचा हुवा आहारमें पंडे लोगोंका विभाग होता है.
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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