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(५) रत्नत्रयादिसे वृद्ध जनोंके सामने बोले, अविनय करे
तो अस० दो० (६) स्थविर मुनियोंकी घात चिंतवे, दुर्धान करे तो
अस० दोष (७) प्राणभूत जीव-सत्त्वकी घात चिंतवे, तो अस० दोष. (८) किसीके पीछे अवगुण-वाद बोलनेसे अस० दोष.. (६) शंकाकारी भाषाको निश्चयकारी बोलनेसे अस० दोष. (१०) वार वार क्रोध करनेसे अस० दोष. (११) नया क्रोधका कारण उत्पन्न करनेसे अस० दोष. (१२) पुराणे क्रोधादिकी उदीरणा करनेसे अस० दोष. (१३) अकालमे सज्झाय करनेसे अस० दोष. (१४) प्रहर रात्रि जानेके बाद उंच स्वरसे बोले तो अस०
दोष लगे. (१५) सचित्त पृथ्व्यादिसे लिप्त पावोसे आसनपर बैठे तो
अस० दोष लगे. (१६) मनसे झूझ करे किसीका खराब होना इच्छे तो
अस० दोष. (१७) वचनसे झूझ करे, किसीको दुर्वचन बोले तो अस०
दोष लगे. (१८) कायासे झूझ करे अंग मोडे कटका करे, तो अस० दोष. (१६) सूर्योदयसे अस्ततक लाना, खानेमे मस्त रहे तो
अस० दोष.