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________________ २४ वहां भेज दीया, परन्तु अभी तक सजनने पूर्ण तोर पर स्त्रीकार नहीं कीया हो, जैसे कि-भोजन आनेपर कहते है कि यहां पर रख दो, हमारे कुटुम्बवालोंकी मरजी होगी तो रख लेंगे, नहीं तो वापिस भेज देंगे ऐसा भोजन भी साधु साधीयोंको लेना नहीं कल्प। (११) उक्त भोजन सजनने रख लिया हो, उसके अन्दरसे नीकला हो, और प्रवेश किया हो तो वह भोजन साधु साध्वीयोंको ग्रहण करना कल्पै । ( १२ ) उक्त भोजनमें सजनने हानि वृद्धि न करी हो, परन्तु साधु साध्वीयोंने अपनी आम्नायसे प्रेरणा करके उसमें न्यूनाधिक करवायके वह भोजन स्वयं ग्रहण करे तो उसको दोय आज्ञाका अतिक्रम दोष लगता है, एक गृहस्थकी और दुसरी भगवान्की आज्ञा विरुद्ध दोष लगै। जिसका गुरु चतुमासिक प्रायश्चित होता है। (१३) जो दोय, तीन, च्यार या बहुत लोग एकत्र होके भोजन बनवाया है, जिस्में शय्यातर भी सामेल है, जैसे सर्व गामकी पंचायत और चन्दाकर भोजन बनवाते है, उसमें शय्यातर भी सामेल होता है, वह भोजन साधु साध्वीयोंको ग्रहण करना नहीं कल्पै । अगर शय्यातर सामेल न हो तथा उसका विभाग अलग कर दीया हो, तो लेना कन्पै ।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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