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________________ ॥ अथश्री ।। विन्हिदसा सूत्र संक्षिप्तसार। - (बारहा अध्ययन.) (१) प्रथम अध्ययन-चतुर्थ आराके अन्तिम परमेश्वर नेमिनाथप्रभु इस भूमंडलपर विहार करतेथे उस समयकि वात है कि, द्वारकानगरी, रेवन्तगिरि पर्वत् , नन्दनवनोद्यान, सुरप्पिय यक्षका यक्षायतन, श्रीकृष्णराजा सपरिवार, इस सबका वर्णन गौतम कुंमराध्ययनसे देखों। उमद्वारकानगरीमे महान् प्राक्रमी बलदेव नामका राजाथा उस बलदेवराजाके रेवन्ती नामकि राणी महिलागुण संयुक्त थी। एक समय रेवन्ती राणी अपनि सुखशय्याके अन्दर सिंहका स्वप्न देखा यावत् कुमरका जन्म मोहत्सव कर निषेढ नाम रखाथा ७२ कला प्रविण होनेसे ५० राजकन्यावोंके साथ पाणि ग्रहन दत्ता दायचों यावत् आनन्द पुर्वक संसारके सुख भोगव रहाथा जेसे गौतमाध्ययने विस्तारपुर्व लिखा है वास्ते वहांसे देखना चाहिये। यादवकुल श्रृंगार देवादिके पजनिय बावीसवे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवानका पधारना द्वारकानगरीके नन्दनवनमें हुवा। श्रीकृष्ण आदि सब लोक सपरिवार भगवानकों वन्दन करनेको गया उस समय निषेढकुमर भी गौतम कि माफीक वन्दन करनेकों गये। भगवानने उस विशाल परिषदाकों विचित्र
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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