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इन्होंको वंदन नमस्कार सेवा भक्ति करना कल्पता है।
(प्रश्न) हे भगवान् । अम्बड ५० काल कर कहा जावेगा।
(उ०) हे गौतम | बहुतकाल तक श्रावकका व्रत प्रत्याख्यान शील क्षमादि गुणों का पालन कर पतिम एक मासका अनसन कर आलोचना कर समाधि पूर्वक काल कर पंचमा ब्रह्मदेवकोकमें देवता पणे उत्पन्न होगा वहांपर दश सागरोपमकि स्थिति होगा। __(प्रश्न) हे भगवान | अम्बडदेव वहांने कहा जावेगा। ... (उ०) हे गौतम | अम्बडदेव दश सागरोपम देवतोंका सुख अनुभवी वहांसे महाविदह क्षेत्रमें बड़ा भारी विसाल कुल जो बल रूप यश कांति धाम धान्यादि विस्तार वाले कुलमें दृढ़ पइन्ना नाम कुमर पणे उत्पन्न होगा वहांपर केवली परूपीत धर्मको स्वीकार कर दीक्षालेके, क्षीण करेगा मोहिनी कमको; केवल ज्ञानोत्पन्नकर सर्व कर्मोंसे मुक्त होके शिव मंदिरमें अव्याबाद सुखोंमें जा विराजेगा।
(१३) हे भगवान् | ग्रामादिकमें दीक्षा ग्रहण किये हुवे कीतनेक साधु आचार्योपध्यायोंके प्रत्यनिक (वैरी-दुस्मन) जो जिन्होंके पास धर्म-दीक्षा-ज्ञान प्राप्ती कीया है उन्होंसे ही प्रतिकुल रेहना तथा अवगुणबाद बोलना एसा जो प्रत्यनिक तथा कुल बहुताचार्योकेशिष्य, गण-बहुताचार्यके छते यश नहीं करणेचाले, छते गुणनहीं करने वाले, छती कीर्ति नहीं करनेवाले अर्थात् अपयश अवगुण अकीर्ति करनेवाले अशुद्ध भावना रखके अभिनिवेस मिथ्यात्वको अंगीकार कर अपनी आत्मा तथा बहुतसे पर आत्मावोंको डुबाते हुवे दीर्घ संसारी बनाते हुवे बहुतसे कालकक