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(११) ., उन्ही परिवनिकोंको एक मागद देशका पाथा ( भानन विशेष १६ सेरपाणीवाला ) परिमाण पाणी वहभी वेहता हूवा, निर्मल स्वच्छ प्रश्नता होतो वहभी वस्त्रसे छाणके दातारके दीया हूवा लेने वहभी अपने पीनेके काम लेवे किन्तु हाथ पग उपकरण धोनेके लिये नहीं । और आदा पाथ परिमाण पाणी पूर्ववत् हाथपग उपकरण धोनेको लेते है इन्होंसे ज्यादा पाणी नहीं लेते है । तथा आहापाथा परिमाण पाणी स्नान करनेकों लेते है । इसी माफीक वरताव रखते हुवे बहुत कालतक परिवानिकोंकि पर्याय पालते हुवे कालकर कहापर जाते है। ___ (उ) हे गौतम, उक्त परिवर्मिक उत्कृष्ट पंचमें ब्रह्मदेवलोंकमें उत्पन्न होते हैं वहा पर उत्कृष्ट दश सागरोपमकि स्थिति होती है परंतु परलोकके आराधी नहीं होते है । उचे जेते है वह मात्र कष्टक्रियाके बलसे जाते है अन्य मतियोंकी उर्व जानेमें पंचवा देवलोक तक गति है।
(नोट) उस समय अम्बड परिवर्निक ७०० शिष्य रामऋतुके समय जेष्ट मासमें गंगा नदीके तटपर कपीलपुर नगरसे पुरमताल नगरकों जा रहे थे । रहस्ते में पेइला संग्रह किया हूवा पाणी सव पीगये जब बहुत पीपासा लगी गंगाका पाणी था परन्तु दातार न होनेसे वह पाणीले नहीं शके | दातारकी गवेषणा करनेपर भी दातार मीला नहीं । जब सर्व एकत्र होके बिचारा कि अपनि प्रतिज्ञा है कि विना दातारके दिये हुवे पाणी न लेना। वास्ते इस आपदामें अपना नियम मजबुत रस्त्रनेको अपने सवकों पादुगमन संस्थारा करना ही उचित है । वस एसा ही कर एक